नई दिल्ली
देश में बीते 9 साल से खाने के तेल की खुली बिक्री पर बैन लगा हुआ है। इतना ही नहीं जिस टिन के डिब्बे में तेल बिकता है उसको भी दोबारा से इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगी हुई है। इसी के चलते सभी राज्य हर साल अपने यहां इस पाबंदी को बढ़ाते रहते हैं। मद्रास हाईकोर्ट ने भी इसी तरह का फैसला देते हुए खुले तेल की बिक्री पर रोक लगा दी है। साथ ही कानून तोड़ने वाले पर राज्य गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करने की बात कही है।
जानें क्या बोला अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर वी। ठक्कर ने न्यूज18 हिंदी को बताया, “फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Fssai) ने यह पाबंदी लगाई थी। हालांकि राज्यों के हिसाब से इसका पालन होना है। साथ ही यह पाबंदी एक साल से ज्यादा भी नहीं हो सकती है। इसलिए राज्य इस हर एक साल बाद आगे के लिए बढ़ाते रहते हैं। लेकिन इस पाबंदी की असलियत यह है कि इसके चलते छोटे तेल कारोबारियों के साथ-साथ जनता भी इस आदेश की चक्की में पिस रही है। जबकि बड़ी-बड़ी कंपनी वाले इसका फायदा उठाकर महंगे दामों पर गरीब जनता को अपना तेल बेच रहे हैं। देश की एक बड़ी आबादी ऐसी है जो रोज़ाना या एक हफ्ते के हिसाब से अपनी रसोई के सामान की खरीदारी करती है।
यह वो लोग हैं जो 250 और 500 ग्राम के हिसाब से खाने के तेल खरीदते हैं। और ऐसे में तेल की जितनी छोटी पैकिंग होगी वो उतना ही महंगा होता चला जाएगा। अब गरीब जनता कहां जाए। वहीं कुछ ऐसा ही हाल तेल का छोटा कारोबार करने वाले व्यापारी भाइयों का है। टिन पूरी तरह से आयात होता है। लेकिन हमारे देश में एक बार टिन के डिब्बे में तेल बेचने के बाद आप दोबारा से उसमे तेल नहीं बेच सकते। क्या हम घर के बर्तन भी एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक देते हैं। इस आदेश से छोटा व्यापारी पनप नहीं पा रहा है। लेकिन अभी तक सरकार ने उस पर कोई सकरात्मक कदम नहीं उठाया है।
देशभर में ब्लेंडिंग से रोक हटा चुका है FSSAI
देशभर में अब सरसों का तेल सस्ता होने की उम्मीद है। FSSAI ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा देते हुए सरसों के तेल पर ब्लेंडिंग की रोक हटाने की बात कही है। गौरतलब है कि अक्टूबर में सरकार ने ब्लेंडिंग करने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद अक्टूबर से सरसों के तेल के दाम बढ़ना शुरु हो गए थे। आज देशभर में सरसों का तेल 150 से 190 रुपये किलो तब बिक रहा है। ब्लेंडिंग पर रोक लगाने के बाद ही कुछ तेल कंपनी वाले दिल्ली हाईकोर्ट चले गए थे।
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